Description
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता हैं। सूर्य का रंग केसरिया व रत्न माणिक्य माना जाता हैं। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में उच्च का होता हैं, सूर्य की कृपा पाने के लिए ही सूर्य का रत्न माणिक्य यानि की रूबी धारण करने की सलाह ज्योतिषाचार्यों द्वारा दी जाती हैं। माणिक रत्न अत्याधिक शक्तिशाली है
माणिक्य की ख़ासियत
माणिक्य गहरे लाल रंग से गुलाबी रंग तक का होता है, यह बहुत चमकदार रत्न होता है। माणिक्य खनिज के रूप में सबसे ज्यादा म्यांमार, बर्मा में पाया जाता है। इसके अलावा यह भारत, पाकिस्तान, नेपाल, कंबोडिया, अफगानिस्तान, जापान, स्कॉटलैंड, नामीबिया में पाया जाता है। गहरा लाल रंग होने के बाद भी यह रत्न ट्रांस्पेरेंट होता है। सूर्य ग्रह माणिक्य रत्न का स्वामी है, इस रत्न को धारण करने के बाद नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।
माणिक्य कौन धारण कर सकता हैं
माणिक्य रत्न का अधिपति ग्रह सूर्य है और सूर्य की राशि सिंह है, इसलिए सिंह राशि के लोगों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना लाभदायक होता है। सूर्य की कृपा से जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है, इसलिए अगर सिंह राशि के लोग सफलता पाना चाहते हैं तो माणिक्य रत्न जरुर पहनना चाहिए।
विवरण
सर्टिफिकेट: | Govt. द्वारा प्रमाणित लैब सर्टिफिकेट |
धातु: | पंचधातु |
वजन: | 3.5 से 5 ग्राम |
माप: | फ्री साइज (Adjustable) |
माणिक्य रत्न के लाभ
- सरकारी क्षेत्र में बार बार असफलताओं का सामना करना पड़ रहा हो तो माणिक धारण करने से सरकारी कामों में सफलता मिलती है।
- अगर नौकरी या कारोबार में व्यवधान उत्पन्न हो रहा हो तो माणिक्य रत्न जरुर धारण करना चाहिए, ऐसा करने से नौकरी/कारोबार में लाभ होता है।
- बदनामी से बचने के लिए भी माणिक रत्न धारण करना उत्तम माना गया है।
- पुत्र या भाई के सम्बन्ध में किसी प्रकार की चिंता सता रही हो तो माणिक रत्न के प्रभाव से यह चिंताएं समाप्त हो जाती है।
- उच्च पद पर आसीन लोगों को माणिक रत्न के प्रभाव से लाभ होता है, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
- माणिक रत्न आपके अन्दर छिपी हुई हिचकिचाहट या संकोच प्रवृत्ति को ख़त्म कर निडर तथा आत्मविश्वास जागृत करता है।
- आँखों की समस्याओं से परेशान है तो माणिक धारण करने से आँखों से सम्बंधित दिक्कते काफी हद तक ख़त्म हो जाती है।
- माणिक के प्रभाव से मन में प्रेम भावना जागृत होती है एवं व्यक्ति में नेतृत्व करने के गुण आते है।
- कुंडली में सूर्य अगर अशुभ भाव में है और किसी भी काम से आप संतुष्ट नहीं है, ऐसी स्थिति में सूर्य को बल प्रदान करने के लिए माणिक धारण किया जाता है, इसके पश्चात आपको हर कार्य में संतुष्टि के साथ सफलता मिलती है।
माणिक्य धारण करने की विधि
सूर्य के रत्न माणिक को शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार के दिन या ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्य के नक्षत्र में अनामिका अंगूली में धारण करना सबसे उत्तम माना गया है। इसे धारण करते हुए 108 बार सूर्य का मंत्र : ऊँ सूर्याय नम: का जाप अवश्य करना चाहिए।
हमसे क्यों लें:
माणिक रत्न की अंगूठी को हमारे अनुभवी और विद्वान ज्योतिषाचार्यों द्वारा विधिपूर्वक अभिमंत्रित करने के बाद ही आपके पास भेजा जाएगा, ऐसा करने से आपको इस रत्न के शुभ फल शीघ्र ही मिलते है। इस रत्न के साथ आपको एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा जो इस रत्न के ओरिजनल होने का प्रमाण है।
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